Class 10th biology bharti bhawan chapter 3 ka laghu urtriy prashan aur dirgh urtriy prashan ka hal||क्लास 10 वीं जीव विज्ञान का अध्याय 3 का लघु उत्तरीय प्रश्न और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न का हल
Class 10th biology
bharti bhawan chapter 3
परिवहन
लघु उत्तरीय प्रश्न
लघु उतरिए प्रश्न
1. जीवों में पदार्थों के परिवहन की परिभाषा लिखें।
उत्तर – परिवहन ऐसी क्रिया है जिसमें समस्त उपयोगी पदार्थों के उनके मूल स्रोतों से शरीर की कोशिकाओं तक लाना तथा अनुपयोगी और हानिकारक पदार्थों को कोशिकाओं से बाहर निकालकर उन अंगों तक पहुंचाना जहां से वे शरीर के बाहर निकाल दिए जाएं तो ऐसी क्रिया पदार्थों का परिवहन कहलाता है।
2. पौधों में जाइलम - वाहिनियों में जल का स्थानांतरण किस प्रकार होता है?
उत्तर – पौधों में जाइलम वाहिनियां की कोशिकाएं लंबी एवं नलिकाकार दोनो शीर्ष पर पतली होती है। ये मुख्य रूप से नग्नबीजी एवं निम्न संवहन पौधों में जल तथा खनिज पदार्थों को जड़ से अवशोषित कर जलमार्ग से पत्तियों तक पहुंचती है।
3. मुलरोम की कोशिकाओं में जल कैसे पहुंचता है?
उत्तर – मूलरोम की कोशिका पौधों की जड़ में पाई जाति है, मिट्टी के अंदर दूर दूर तक फैलकर मिट्टी के छिद्रों से जल को अवशोषित करती है। पत्तियों में जब वाष्पोत्सर्जन की क्रिया होती है, तब जड़ की इस कोशिका पर दबाव पड़ता है और यह जल को खींचने में सक्षम हो जाता है।
4. वाष्पोत्सर्जन क्रिया का पौधों के लिए क्या महत्व है?
उत्तर – पत्तियों में जब बाष्पोत्सर्जन की क्रिया होती है तब जड़ की कोशिकाओं पर दबाव पड़ता है, जिससे जाईलम लगातार तेजी से जल का स्थानांतरण ऊपर की ओर करता रहता है। इस क्रिया के द्वारा जल की पुनः पूर्ति होती है और मिट्टी की गहराइयों तक फैल जाता है, अतः यह पौधों के लिए महत्वपूर्ण है।
5. एकदिशीय एवं द्विदिशीय स्थानांतरण में क्या अंतर है?
उत्तर – पौधों की जाईलम कोशिकाओं में जल का स्थानांतरण सिर्फ एक ही दिशा में होता है, जो नीचे से ऊपर की ओर होता है। इसे ही एकदिशीय परिवहन कहते हैं।
फ्लोयम उत्तक में भोजन का स्थानांतरण पौधों के सभी दिशाओं में होता है, चाहे ऊपर से नीचे या नीचे से ऊपर की ओर इसे द्विदिसीय परिवहन कहते है।
6. लाल रक्त कोशिकाओं ऑक्सीजन वाहक है, कैसे?
उत्तर – लाल रक्त कोशिकाओं में एक लाल रंजक हिमोग्लोबिन पाया जाता है, हिमोग्लोबिन का अणु ऑक्सिजन के चार अणु को बांध रखने की क्षमता रखता है। यह ऑक्सीजन से अभिक्रिया कऑक्सी हिमोग्लोबिन बनाता है और फिर परिवहन द्वारा शरीर के सभी भागों में पहुंच जाता है एम इसीलिए इसे ऑक्सीजन वाहक कहते हैं।
7. श्वेत रक्त कोशिकाओं लाल रक्त कोशिकाओं से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर – (i). RBC लाल होता है जबकि WBC सफेद होता है।
(ii). RBC ऑक्सिजन वाहक का कार्य करता है, जबकि WBC जीवाणु को नष्ट करने का कार्य करता है।
(iii). RBC की संख्या WBC से अधिक होती है, जबकि WBC की संख्या RBC से कम होती है।
(iv). RBC में केंद्रक नहीं होता, लामा और ऊंट को छोड़कर जबकि WBC में अनियमित आकार की केंद्रक युक्त कोशिकाएं मौजूद होती है।
8. रक्त पट्टीकाणु का क्या महत्व है?
उत्तर – जब शरीर का कोई अंग कटता फटता है और वहां से रक्त निकलने लगता है , उस रक्त में मौजूद रक्त बिम्बाणु तुरंत अभिक्रिया कर थ्रोबोप्लास्ट का निर्माण करता है, जिससे हिपैरिन होता है, रक्त को थक्का बनाने का कार्य करता है। इसलिए रक्त पट्टीकाणु महत्वपूर्ण है।
9.धमनी और शिरा में अंतर स्पष्ट करे।
उत्तर – (i) . धमनी की दीवार मोटी परंतु लचीली होती है जबकि शिरा की दीवार पतली परंतु कड़ी होती है।
(ii). धमनी में रक्त का प्रवाह तेज गति से होता है, जबकि शिरा में रक्त का प्रवाह मंद होता है।
(iii). धमनी रक्त को हृदय से लेकर पूरे शरीर में पहुंचाने का कार्य करता है, जबकि शिरा रक्त को शरीर के विभिन्न अंगों से हृदय में पहुंचाता है।
(iv). धमनी में शुद्ध रक्त का प्रभाव होता है, जबकि शिरा में अशुद्ध रक्त का।
10. रक्त के द्विगुणी परिवहन का क्या अर्थ है?
उत्तर – जब दायां निलय से अशुद्ध रक्त फुफ्फुस धमनी द्वारा फेफड़े में जाकर शुद्ध होता है इसी समय बायां निलय में पहुंचा हुआ शुद्ध रक्त महाधमनी द्वारा शरीर के सभी भागों में पहुंच जाता है। इसी तरह एक चक्र को पूरा करने में रक्त हृदय से दो बार होकर गुजरता है, जिसे रक्त का द्विगुण परिवहन कहते हैं।
Class 10th biology
bharti bhawan chapter 3 परिवहन
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
दीर्घ उतरीय प्रश्न
1. जाइलम और फ्लोएम के मुख्य भेदों को लिखें।
उत्तर – जाइलम और फ्लोएम में मुख्य भेद निम्न हैं:
(i). जाइलम पौधों में पाया जाना वाला वह उत्तक है, जो मिट्टी से जल एवं खनिज लवण लेकर जलमार्ग द्वारा पत्तियों तक पहुंचाने का कार्य करता है।
जबकि फ्लोएम पौधों में पाए जाने वाला वैसा उत्तक है, जो खाद्य पदार्थो का परिवहन पत्तियों से पौधों के समस्त भागों तक पहुंचाने का कार्य करता है।
(ii). जाइलम की कोशिकाएं मृत होती हैं
जबकि फ्लोएम की कोशिकाएं जीवित होती हैं।
(iii). जाइलम में एकदिसीय परिवहन पाया जाता है जबकि फ्लोएम में द्विदिसीय परिवहन पाया जाता है।
(iv). जाइलम की मुख्य घटक वाहिकाएं तथा वाहीनिकाएं हैं
जबकि फ्लोएम की मुख्य घटक चालनी नलिकाएं हैं।
(v). जाइलम में वाष्पोत्सर्जन क्रिया के दौरान मूल पर दाब अधिक होता है
जबकि फ्लोएम में ऐसा कुछ नहीं होता है।
2. लंबे वृक्ष में पूरी ऊंचाई तक जल कैसे चढ़ता है, बताएं।
उत्तर – लंबे लंबे वृक्ष में संवहन उत्तक भी लंबे लंबे होते हैं, जो काफी सक्रिय रहते हैं। जब मिट्टी से जल तथा खनिज लवण जाइलम अवशोषित करके जल मार्ग द्वारा ऊपर की तरह पहुंचाया जाता है, तब उस जल को पत्तियां अवशोषित कर लेता है और भोजन बनाने के लिए उपयोग करती है।
जाईलम पर मूल दाब की क्रिया होती है जिससे जल धीरे धीरे ऊपर की ओर उठता है। इसी तरह जब वाष्पोत्सर्जन क्रिया द्वारा जल का वाष्पीकरण होता है, तब और तेजी से जल ऊपर की ओर उठता जाता है और इसी तरह धीरे धीरे खिसकर ऊपर तक पहुंच जाता है। इसी तरह लंबे वृक्ष में जल पहुंचता है।
3. पौधों में खाद्य पदार्थो के परिवहन की क्रिया कैसे संपन्न होती है? सचित्र वर्णन करें।
उत्तर – पौधों की पत्तियों में जब प्रकाशसंश्लेषण क्रिया द्वारा भोजन बनता है, तब फ्लोएम उत्तक पत्तियों में बने हुए भोजन को लेकर पौधों के सभी भागों तक भोजन को ले जाने का काम करता है। चूंकि फ्लोएम में द्विदीशीय परिवहन होता है, इसी लिए भोजन ऊपर नीचे या नीचे ऊपर की तरफ भोजन का स्थानांतरण सुक्रोज ने रूप में कराता है। फ्लोएम चार घटकों से मिलकर बना होता , जिससे चालानी नलिका मुख्य है। उसकी नलिकाएं अत्यंत छोटे छिद्रोंवाली प्लेट से जुड़ी होती है, इसीलिए यह खाद्य पदार्थो का स्थानांतरण के लिए उपयुक्त है। खाद्य पदार्थो का स्थानांतरण सदा अधिक संद्राता वाले भागों से कम संद्राता वाले भाग की ओर होता है।
4. मनुष्य के रक्त की संरचना का वर्णन करे।
उत्तर – मनुष्य का रक्त तरल समयोजी उत्तक का बना होता है। इनकी संरचना दो प्रमुख घटक की होती है: पहला प्लाज्मा जो तरल अवस्था में रहता है। दूसरा RBC, WBC एवम ब्लड प्लेटलेट्स जो ठोस के रूए में पाया जाता है।
(i)प्लाज्मा__ यह हल्के पीले रंग का चिपचिपा द्रव है जो आयतन के हिसाब से पूरे रक्त का करीब 55% होता है। इसमें 90% जल 7% प्रोटीन, 0.9% अकॉर्नोनिक लवण, 0.18% ग्लूकोज, 0.5% वसा तथा शेष अन्य कार्बोनिक पदार्थ होते हैं।
(ii)RBC-- इसमें एक विशेष प्रकार का प्रोटीन वर्णक हिमोग्लोबिन पाया जाता है। हिमोग्लोबिन के कारण ये लाल होता है। हिमोग्लोबिन के एक अणु की क्षमता ऑक्सीजन के चार अणुओं से एक संयोजन की होती है। इसीलिए इसे ऑक्सीजन का वाहक कहा जाता है। RBC श्वसन गैसों का परिवहन करती है।
(iii) WBC __ इसमें अनियमित आकार की न्यूक्लियस युक्त कोशिकाएं हैं। यह रंगहीन होता है, क्योंकि इसमें हिमोग्लोबिन जैसा वर्णन नही पाया जाता है। यह RBC की अपेक्षा अत्यंत कम होता है।
(iv) रक्त पट्टीकाणु __ ये बिम्बाणु भी कहलाता है। यह रक्त को थक्का बनने में सहायक है। यह मनुष्य एवम अन्य स्थनधारी के रक्त में पाया जाता है। इसमें केंद्रक नहीं होता है। यह अस्थिमज्जा में बनता है एवम् इसकी मृत्यु प्लीहा में होता है। इसका जीवन काल एवम् 3 से 5 दिन का होता है।
5. मनुष्य के हृदय का एक स्वच्छ नामांकित चित्र बनाएं। वर्णन की आवश्यकता नहीं है।
उत्तर –
6. मनुष्य के हृदय की संरचना का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर - मनुष्य का हृदय एक अत्यंत कोमल, मांशल रचना है जो वक्षगुहा के मध्य में पशलिय के नीचे तथा दोनों फेफड़ों के बीच स्थित होता है। यह हृद पेशियों का बना होता है। यह एक केंद्रिक पंप अंग है जो रक्त पर दबाव बनाकर उसका परिसंचरण पूरे शरीर में करता है। इसका आकार तिकोना होता है। इसका चौड़ा भाग आगे और संकरा भाग पीछे की ओर होता है तथा यह बाई तरफ झुका होता है। यह चारों तरफ से दोहरी झिल्ली कार्डियक मेंबरेन से घिरा होता है। इन दोनो झिल्लियों के बीच द्रव्य भरा होता है, जो बाहरी आघातों से बचाता है। यह मनुष्य में चार वेश्मों में बंटा होता है, दायां और बायां अलिंद तथा दायां और बायां निलय। यह 4.5 cm लंबा, 3.5 cm मोटा एवम 2.5 cm चौड़ा होता है। इसकी रक्षा पश्ली की हड्डी करती है एवम् यह तंत्रिका तंत्र के गुच्छों में लिपटा रहता है। दायां और बायां अलिंद अंतरालिंद भित्ति द्वारा अलग होता है एवम् यह हृदय के चौड़े अग्रभाग में होता है। दायां और बायां निलय हृदय के संकरे पश्यभाग में स्थित होता है एवम् यह एक संकरे पश्चभग में स्थित होता है एवम् यह एक दूसरे से अंतरानिलय भित्ति के द्वारा अलग होता है।
6. मनुष्य के हृदय की कार्यविधि को समझाएं।
उत्तर – हृदय शरीर के सभी भागों से अशुद्ध रक्त को ग्रहण करता है। फिर उस अशुद्ध रक्त को ऑक्सीकरण के द्वारा शुद्ध करने के लिए फेफड़े में भेजता है तथा पुनः शुद्ध रक्त को फेफड़े से ग्रहण कर शरीर के विभिन्न भागों में पंप कर देता है। जिससे सम्पूर्ण शरीर में रक्त का परिसंचरण होता है।
शरीर के विभिन्न भागों से अशुद्ध रक्त दो अग्र महाशिराओं तथा एक पश्च महाशीरा के द्वारा दायां अलिंद में पहुंचता है। फेफड़े से शुद्ध रक्त फुफ्फुस शिराओं के द्वारा बाएं अलिंद में पहुंचता है। इसके बाद दोनों अलिंद में संकुचन तथा साथ साथ दोनों निलय में शिथलन होता है। इसके फलस्वरूप अशुद्ध रक्त दाएं अलिंद से दायां अलिंद_निलय छिद्र त्रिदली कपाट द्वारा दायां निलय में तथा शुद्ध रक्त बाएं अलिंद से अलिंद_ निलय छिद्र द्विदलि कपाट द्वारा बायां निलय में पहुंच जाता है तो दोनों निलय रक्त से भर जाता तब अलिंद में संकुचन एवम् निलय में शिथिलन होता है। इसके फलस्वरूप अशुद्ध रक्त फुफ्फुस धमनी द्वारा फेफड़े में जाता है। इसी समय बायां निलय में पहुंचा शुद्ध रक्त महाधमनी द्वारा धमनी से होकर सभी शरीर में चला जाता है।
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